आतिशी बनाम एलजी: धार्मिक स्थलों को लेकरआरोप-प्रत्यारोप

दिल्ली में धार्मिक स्थलों के विध्वंस को लेकर सीएम आतिशी और एलजी वीके सक्सेना के बीच तीखी बयानबाजी हो रही है।

आतिशी बनाम एलजी
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: December 31, 2024 9:51 pm

दिल्ली में धार्मिक स्थलों के कथित विध्वंस को लेकर उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री आतिशी के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। मुख्यमंत्री आतिशी ने एक पत्र में आरोप लगाया है कि एलजी की अध्यक्षता में धार्मिक समिति ने दिल्ली के कई धार्मिक स्थलों को तोड़ने का फैसला किया है।

आतिशी का एलजी पर गंभीर आरोप

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री आतिशी ने एलजी को लिखे पत्र में कहा, “आपके निर्देशों और अनुमोदन के बाद धार्मिक समिति ने दिल्ली के कई धार्मिक स्थलों को तोड़ने का निर्णय लिया है। इन स्थलों में दलित समुदाय द्वारा पूजित मंदिर और बौद्ध स्थल भी शामिल हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “इन ढांचों का विध्वंस इन समुदायों की धार्मिक भावनाओं को आहत करेगा। दिल्लीवासियों की ओर से, मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि सूची में शामिल इन मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों को न तोड़ा जाए।”

एलजी कार्यालय का जवाब: सस्ती राजनीति कर रही हैं मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री के आरोपों पर एलजी कार्यालय ने कड़ा जवाब दिया। सचिवालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “ना तो किसी मंदिर, मस्जिद, चर्च या किसी अन्य पूजा स्थल को तोड़ने का निर्देश दिया गया है और ना ही इस तरह की कोई फाइल एलजी कार्यालय में आई है। मुख्यमंत्री अपनी और अपने पूर्ववर्ती की विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए सस्ती राजनीति कर रही हैं।”

एलजी कार्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि उपराज्यपाल ने पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और किसी भी तरह की राजनीतिक लाभ के लिए की गई तोड़फोड़ की घटनाओं को रोका जाए।

अस्थायी मुख्यमंत्रीटिप्पणी पर विवाद

इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा आतिशी को “अस्थायी मुख्यमंत्री” कहे जाने पर भी विवाद छिड़ा हुआ है। सोमवार को उपराज्यपाल ने इस टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताया और इसे राष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधि का अपमान बताया।

एलजी ने अपने पत्र में लिखा, “मैं इसे अत्यंत आपत्तिजनक मानता हूं और इससे आहत हूं। यह न केवल आपका बल्कि राष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधि का भी अपमान है।”

मुख्यमंत्री आतिशी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा, “हमारे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों का यही प्रमाण है कि सभी निर्वाचित पदाधिकारी अपने कार्यकाल तक ही पद पर रहते हैं। मुझे आश्चर्य है कि आपने इस सच्चाई को उजागर करने वाले बयान से कैसे आहत हो गए।”

राजनीति से ऊपर उठकर काम करने का आग्रह

आतिशी ने अपने जवाब में लिखा, “यह निराशाजनक है कि आपका पत्र आलोचना पर केंद्रित है, जबकि हम सभी को रचनात्मक सहयोग पर ध्यान देना चाहिए। मैं आपसे आग्रह करती हूं कि राजनीति से ऊपर उठकर जनता के लिए काम करें।”

दिल्ली में धार्मिक स्थलों के मुद्दे पर ये तनावजनक स्थिति आने वाले दिनों में और गरमा सकती है। जनता की भावनाएं और राजनीतिक नफा-नुकसान के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का अंत कैसे होगा।

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