यह ऐतिहासिक मुकाबला नवी मुंबई के डॉ डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स एकेडमी स्टेडियम में खेला गया, जहां भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवरों में 7 विकेट के नुकसान पर 298 रन बनाए।
दक्षिण अफ्रीका के सामने 299 रनों का लक्ष्य था, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अफ्रीकी टीम को 45.3 ओवर में 246 रन पर समेट दिया। इस जीत के साथ भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने एक और मील का पत्थर तय किया और भारतीय क्रिकेट की महिला शाखा को गौरवान्वित किया।
भारतीय टीम की बल्लेबाजी की शुरुआत शानदार रही, जहां युवा सलामी बल्लेबाज सेफाली वर्मा ने 78 गेंदों में 87 रन की पारी खेली, जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड दिया गया। सेफाली के साथ स्मृति मंधाना ने भी 45 रन का योगदान दिया। हालांकि, दीप्ति शर्मा की बल्लेबाजी और गेंदबाजी ने फाइनल में भारतीय टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई।
दीप्ति शर्मा ने 39 रन देकर 5 विकेट झटके और 58 रन भी बनाए, जिसके कारण उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का सम्मान मिला। दक्षिण अफ्रीका की ओर से लौरा वोलवार्ट ने 101 रन की शानदार पारी खेली, लेकिन उनकी कोशिशें अकेले ही अफ्रीकी टीम को जीत दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं रहीं। एनेरी डेरेक्सन (35) और सनलुस (25) का योगदान भी मुकाबले में असरदार साबित नहीं हो पाया।
इस जीत के साथ भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने न केवल अपने खेल को निखारा, बल्कि देश को गर्व महसूस कराया। यह खिताब भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो भारतीय महिला क्रिकेट के उज्जवल भविष्य का संकेत भी है।
ये भी पढ़ें :-भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने रचा इतिहास, ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर विश्वकप फाइनल में पहुंची