Surinder Chaudhary बने जम्मू-कश्मीर के नए उप मुख्यमंत्री, नौशेरा से जीते थे चुनाव

बुधवार को उमर अब्दुल्ला के जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही एक और शपथ ग्रहण हुआ। नेशनल कांफ्रेंस ने नौशेरा से विधायक सुरेंद्र चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया। इसके साथ चार और विधायक - सकीना मसूद, जावेद डार, जावेद रैना, और सतीश शर्मा ने मंत्री पद की शपथ ली। यह शपथ ग्रहण शेर ए कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में कराया गया था।

Written By : सुनील कुमार साहू | Updated on: October 17, 2024 2:45 pm

जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए बुधवार बड़ा खास रहा। पहले तो केंद्र सरकार ने सोमवार को प्रदेश से राष्ट्रपति शासन को हटाया और उसके बाद 16 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला ने प्रदेश के  नए सीएम  (CM) पद की शपथ ली। इनके साथ उन्होंने जम्मू के नौशेरा से विधायक Surinder Chaudhary को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। सुरेंद्र चौधरी ने  2024 में हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस की ओर से लड़ते हुए बीजेपी के रविंद्र रैना को 7819 वोटो से हराया। सीएम और डिप्टी सीएम के साथ चार और विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली।

Surinder Chaudhary का आरंभिक जीवन

सुरेंद्र चौधरी का जन्म 1968 को जम्मू के मार्हा क्षेत्र में हुआ था।  इनकी आरंभिक शिक्षा पास के ही सरकारी विद्यालय में हुई।

राजनीतिक जीवन

Surinder Chaudhary ने 2014 के विधानसभा चुनाव से सबसे पहले राजनीति में एंट्री की। इन्होंने पीडीपी के टिकट पर जम्मू के नौशेरा सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन बीजेपी के रविंद्र रैना से हार गए। इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए और पिछले वर्ष बीजेपी से नेशनल कांफ्रेंस में शामिल हो गए।

जम्मू-कश्मीर चुनाव में सीटों की स्थिति

8 अक्टूबर को जम्मू- कश्मीर के नतीजे सामने आए थे। यहां की 90 विधानसभा सीटों में नेशनल कांफ्रेंस ने 42 सीटे जीती, कांग्रेस ने 6 सीटे, बीजेपी ने 29 सीटे और सात निर्दलीय उम्मीदवार जीते। नेशनल कांफ्रेंस प्रदेश  की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी  और सरकार बनाने में सफलता पाई।

जम्मू कश्मीर में अंतिम चुनाव कब हुए थे

आज से दस साल पहले साल 2014 में जम्मू कश्मीर में आखिरी चुनाव हुए थे। जिसमें बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन दुर्भाग्यवश  साल 2018 में  दोनों का गठबंधन टूट गया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। वर्ष 2019 में फिर से  केन्द्र में बीजेपी सरकार के आने के बाद उन्होंने राज्य में धारा 370 को समाप्त कर दिया  और सारी  जिम्मेदारी एलजी के कंधों पर डाल दी।

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