कांग्रेस ने पहले यहां से महगमा की विधायक दीपिका पांडे सिंह(Deepika Panday Singh) को मैदान में उतारा था। जानें क्या खिचड़ी पकी कि पार्टी ने कुछ दिनों बाद ही दीपिका पांडेय सिंह का टिकट काटकर पौड़ेयाहाट से कांग्रेस (Congress) के विधायक प्रदीप यादव (Pradeep Yadav) को मैदान में उतार दिया। दीपिका पांडेय सिंह ने टिकट की घोषणा होने के साथ ही चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। उनके साथ कार्यक्रम में प्रदीप यादव भी कई जगहों पर दिखे थे लेकिन ऐसा क्या हुआ कि दीपिका का टिकट काटकर प्रदीप यादव को फिर से निशिकांत दूबे के खिलाफ कांग्रेस को उतारना पड़ा।
दीपिका पांडे सिंह को टिकट मिलने के बाद होने लगा था विरोध
दीपिका पांडे सिंह को टिकट मिलने के साथ ही कांग्रेस में विरोध शुरू हो गया था। प्रदीप यादव के समर्थकों के साथ ही फुरकान अंसारी (Furkan Ansari) के समर्थकों ने भी दीपिका की उम्मीदवारी का विरोध किया था। गोड्डा में कांग्रेस भवन में प्रदीप यादव के समर्थकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। दीपिका का विरोध करते हुए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कहते हैं जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उनती हिस्सेदारी तो इस फॉर्मूले के मुताबिक गोड्डा सीट से किसी ओबीसी(OBC) उम्मीदवार को टिकट मिलना चाहिए । राहुल गांधी के पास ये बात पहुंची और देवघऱ एयरपोर्ट पर मुलकात के बाद अगले ही दिन दीपिका पांडेय की जगह गोड्डा से प्रदीप यादव को उम्मीदवार बनाया गया। गोड्डा सीट पर अब सवर्ण बनाम ओबीसी की टक्कर होने का माहौल बनाने की कोशिश हो रही है।
गोड्डा से तीन बार सांसद रह चुके हैं निशिकांत दुबे
गोड्डा से बीजेपी के कद्दावर प्रत्याशी और तीन बार के सांसद निशिकांत दुबे चौथी बार चुनावी मैदान में हैं। पूरे संथाल परगना में निशिकांत दुबे की छवि विकास पुरुष के रूप में बनी हुई हैं। देवघर में एम्स, देवघर में एयरपोर्ट, गोड्डाा में पावर प्लांट, संथाल परगना में रेल लाइनों का जाल, गोड्डा में रेलवे स्टेशन, जसीडीह स्टेशन पर VIP ट्रेनों के ठहराव जैसी कई ऐसी सुविधाएं निशिकांत दुबे ने अपने दम पर दिलाईं हैं।
दुबे के अनुसार, उनके कार्यकर्ता ही करेंगे चुनाव प्रचार, क्योंकि…
संथाल परगना के साथ ही अंग क्षेत्र के विकास में भी गोड्डा सांसद दुबे की भागीदारी रही है। संथाल परगना में निशिकांत दुबे और प्रदीप यादव की सियासी अदावत पुरानी है। इन दोनों के बीच एक दूसरे पर केस मुकदमा से लेकर चुनावी रंजिश और बयानबाजी की खबरें अक्सर अखबारों और टीवी न्यूज की सुर्खियां बनती हैं। गोड्डा से बीजेपी प्रत्याशी बनने के बाद निशिकांत दूबे ने कहा था कि कांग्रेस अगर प्रदीप यादव को उनके खिलाफ प्रत्याशी बनाती है, तो वे अपना चुनाव प्रचार नहीं करेंगे बल्कि उनके कार्यकर्ता ही चुनाव प्रचार करेंगे। दुबे के अनुसार, प्रदीप यादव पर रेप का आरोप है और वो रेप के आरोपी के खिलाफ चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। दुबे के मुताबिक, विपक्ष विकास के मुद्दों की बात नहीं कर अगड़ा-पिछड़ा, दलित औप मुसलमान को मुद्दा बनातक चुनाव लड़ना चाहता है। इसलिए वे चुनाव प्रचार नहीं करेंगे।
दबंग और सदन में मुखर विधायक की छवि है प्रदीप यादव की
उधर प्रदीप यादव का कहना है कि निशिकांत दुबे बड़े नेता हैं, वो कुछ भी बोल सकते और कर सकते हैं, लेकिन गोड्डा की जनता तय करेगी कि वो अपना सांसद किसे चुनती है। बता दें की प्रदीप यादव कभी पौड़ेयाहाट से बीजेपी के विधायक हुआ करते थे। दबंग और विधानसभा में मुखर विधायक के तौर पर प्रदीप यादव की पहचान है। बालूलाल मरांडी के बीजेपी से अलग होने के बाद प्रदीप यादव बाबूलाल मरांडी(Babulal Marandi) की पार्टी जेवीएम(JVM) में शामिल हो गए। जेवीएम से मोहभंग होने के बाद प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए और अभी वे कांग्रेस से विधायक हैं।
इस बार प्रदीप यादव को भी मिल सकता है लाभ
निशिकांत दुबे भले ही यह कहें कि वो नहीं उनके कार्यकर्ता गोड्डा में इस बार चुनाव लड़ेंगें लेकिन दुबे के लिए इस बार संसद की राह इतनी आसान भी नहीं है। गोड्डा में कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव सिर्फ कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं है बल्कि वो इंडी (INDIA) गठबंधन के प्रत्याशी हैं। संथाल परगना(Santhal Pargana) में कांग्रेस के दिगग्ज नेता और पूर्व सांसद फुरकान अंसारी (Furkan Ansari) का आशीर्वाद प्रदीप यादव के साथ होगा। इस इलाके में झाममुो(JMM) की अच्छी पकड़ का भी फायदा प्रदीप यादव को मिल सकता है। साथ ही राजद(RJD) का वोट भी प्रदीप यादव को मिल सकता है। गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में करीब 20 लाख वोटर हैं। जिसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटरों की संख्या साढ़े तीन लाख के करीब है। उसके बाद यादव वोटर ढाई लाख के करीब हैं। आदिवासी वोटर करी दो से ढाई लाख के करीब है। सवर्ण वोटरों में ब्राह्मण वोटरों को मिलाकर साढ़े तीन लाख के आस पास वोटर्स है। दलितों और वैश्य वोटरों की भी अच्छी खासी तादाद गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में है।
विपक्ष के बिखराव का निशिकांत दुबे को मिलता रहा है लाभ
ऐसा माना जाता है कि गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में जिस ओर ब्राह्मण का वोट पड़ता है जीत उसकी होती है। जाहिर तौर पर बीजेपी प्रत्याशी निशिकांत दुबे को ब्रह्माण उम्मीदवार होने का पिछले तीन लोकसभ चुनाव में फायदा मिला है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव की बात करे तो निशिकांत दुबे की जीत में विपक्ष का बिखराव महत्वूर्ण फैक्टर था लेकिन इस बार मुकाबला इतना भी आसान नही है जितना निशिकांत दूबे दावा कर रहे हैं। गोड्डा लोकसभा सीट पर सियासी समीकरण को देखें तो क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटे हैं-देवघर, जरमुंडी, मधुपुर, गोड्डा, पौड़ेयाहाट, और महगामा है। इन 6 विधानसभा सीटों में 2 पर बीजेपी का कब्जा है। देवघर और गोड्डा सीट बीजेपी के पास है जबकि 4 सीटों पर तीन पर कांग्रेस और एक सीट पर झामुमो का कब्जा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के निशिकांत दुबे को 6 लाख 35 383 वोट मिले थे जबकि जेवीएम के उम्मीदवार रहे प्रदीप यादव को 4 लाख 50 हजार 677 वोट मिले थे। एक बार सांसद, पांच बार विधायक और दो बार झारखंड सरकार में मंत्री रहे प्रदीप यादव इस बार जरूर चाहेंगे कि वो निशिकांत दुबे को जीत का चौका लगाने से रोकें हालांकि कौन सफल रहा इसका फैसला चार जून को तब होगा जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे।