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तिरुपति लडडू विवाद के बाद VHP और RSS ने दिया मंदिरों से सरकारी नियंत्रण खत्म करने पर जोर
तिरुपति लड्डू में कथित मिलावट को लेकर शुरू हुआ विवाद अब धार्मिक भावना से परे जाकर एक राजनीतिक मुद्दे का रूप ले चुका है। कई दक्षिणपंथी संगठन जैसे- विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बयान दिया है कि पूरे देश के मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के हाथ में न होकर, हिंदुओं के हाथ में होना चाहिए। जिससे इसके कुप्रबंधन को रोका जा सके।
Written By : सुनील कुमार साहू | Updated on: September 25, 2024 4:54 pm
तिरुपति के प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के लड्डू प्रसाद में मिलावट को लेकर शुरू हुआ विवाद एक राजनीतिक मुद्दे का रूप ले चुका है। देश के कई दक्षिणपंथी संगठन जिन्हें विश्व हिंदूु परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चाहते हैं कि पूरे देश के मंदिरों (Temples )का प्रबंधन राज्य सरकार से हटाकर, हिंदुओं के हाथ में सौंप दिया जाना चाहिए, ताकि कुप्रबंधन को रोका जा सके। राजा भैया और आलोक कुमार जैसे नेताओं ने इसके लिए आवाज उठाई है ।
VHP और RSS ने क्या बयान दिया
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने बयान दिया कि, जिस तरह मस्जिदों और चर्चों का नियंत्रण क्रमश”: मुस्लिम और ईसाई समुदायों के पास होता है, उसी तरह मंदिरों (Temples )का नियंत्रण हिंदू धर्म के लोगों के पास होना चाहिए। राज्यों का धार्मिक मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
हिंदू मंदिरों पर राज्य सरकार के नियंत्रण का नुकसान
- धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन – भारत में संविधान के अनुसार सभी लोगों को अपने धर्म का पालन करने का पूरा हक है। इसलिए अगर मस्जिदों और चर्चां का नियंत्रण मौलाना और पादरी के पास रहेगा तो मंदिरों का नियंत्रण भी हिंदू समुदाय के पास रहना चाहिए।
- मंदिर संसाधनों की लूट- VHP और RSS के अनुसार राज्य सरकारों के नियंत्रण में रहने के कारण कई बार अधिकारी मंदिर की संपत्ति और धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग करते हैं।
- मंदिर की भूमि का दुरुपयोग – कई बार राज्य अधिकारी मंदिर की भूमि का उपयोग अपने निजी फायदे के लिए करते हैं।
- परंपरा का पालन न करना– राज्य के नियंत्रण में होने के कारण कई बार मंदिरों में पारंपरिक रीति रिवाजों और अनुष्ठनों का सही से पालन नहीं होता है। जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है।
हिंदू समुदाय के हाथों में मंदिर नियंत्रण के फायदे
- हिंदू धर्म के उत्थान के लिए धन का उपयोग होगा
- मंदिर संसाधनों की लूट में कमी आएगी
- धार्मिक रीति रिवाजों और परंपराओं का सही से पालन होगा
- मिलावट की घटनाओं में कमी आएगी
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