Hartalika Teej 2024 : कब है हरतालिका तीज ? जानें महत्व,शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

सनातन धर्म में हरतालिका तीज के उपवास का काफी महत्व बताया गया है। इस व्रत में सभी व्रती निर्जला व्रत रख भगवान शिव की पूजा करती हैं।

Written By : दीक्षा शर्मा | Updated on: September 4, 2024 8:21 am

Hartalika Teej 2024: हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। ये व्रत महिला प्रधान है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा पति मिलता है। इस बार ये व्रत 6 सितंबर, शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन कईं शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।

होती है शिव पार्वती की पूजा

हरतालिका तीज व्रत में भगवान शिव के साथ देवी पार्वती और भगवान श्रीगणेश की पूजा का भी विधान है। इस व्रत में महिलाएं दिन भर कुछ भी खाती-पीती नहीं हैं रात भर जागकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।

कब है हरतालिका तीज 2024? (Hartalika Teej 2024 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से आरंभ होगी, जो 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर हरतालिका तीज 6 सितंबर 2024, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

हरतालिका तीज 2024 मुहूर्त (Hartalika Teej 2024 Muhurat)

हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह में 6 बजकर 2 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक है। इसकी कुल अवधि 2 घंटे 31 मिनट है।

सूर्यास्त – 6 बजकर 36 मिनट पर हो रहा है।

हरतालिक तीज पर ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:30 बजे से 05:16 बजे तक है

अभिजीत मुहूर्त- सुबह में 11:54 बजे से दोपहर 12:44 बजे तक

राहुकाल- सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक

हरतालिका तीज पूजा विधि  (Hartalika Teej Puja Vidhi)

  • हरतालिका तीज पर पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में ही स्नान कर लें। फिर साफ वस्त्रों को धारण करें।
  • शुभ महुर्त के अनुसार पूजा की सभी सामग्रियों को एकत्रित कर लें। इस दौरान सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ पूजा में बैठे।
  • सबसे पहले शुद्ध काली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाएं।
  •  जहां भी पूजा कर रहे हैं, वहां पर केले के पत्तों से मंडप बना लें।
  • इसके बाद गौरी-शंकर की मूर्ति को चौकी पर स्थापित कर लें।
  • अब गौरी-शंकर की मूर्ति का गंगाजल, पंचामृत से अभिषेक करें।
  • भगवान गणेश को दूर्वा और जनेऊ चढ़ाएं। इस दौरान भगवान शिव को चंदन, मौली, गुलाल, अक्षत, धतूरा, आंक के पुष्प, भस्म, अबीर, 16 प्रकार की पत्तियां आदि अर्पित करें।
  • इस दौरान देवी पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाएं।
  • अब धूप, दीप लगाकर हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनें, और बाद में आरती करें।
  • रात्रि जागरण कर हर प्रहर में इसी तरह पूजा करें।आप

अगले दिन अंतिम प्रहर की पूजा के बाद देवी पार्वती को चढ़ाया हुआ सिंदूर अपनी मांग में भर सकती हैं।

  • वहीं मिट्टी के शिवलिंग का विसर्जन कर दें और सुहाग की सामग्री को दान में दें।
  • इसके बाद आप व्रत का पारण कर लें।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए पॉलिटिकल बाज़ार उत्तरदायी नहीं है।

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